रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयालोक-लोकन को MOWCAP में जोड़ा गया

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मई  2024 : भारतीय साहित्य की तीन प्रमुख कृतियों को यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर में जोड़ा गया है।

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’, विष्णु शर्मा द्वारा रचित ‘पंचतंत्र’ और आचार्य आनंदवर्धन द्वारा रचित ‘सहृदयालोक-लोकन’ को रजिस्टर में शामिल किया गया है।

उपरोक्त तीनों रचना का अपना महत्व है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा ‘रचित रामचरितमानस’ का उत्तर-भारत में अपना विशिष्ट महत्व है।

अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि इस पर निर्णय 7-8 मई को मंगोलिया की राजधानी उलानबटार में मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (MOWCAP) की 10वीं आम बैठक में लिया गया और तीन प्रमुख कृतियों को जोड़ा गया है।

जैसा कि आप जानते होंगे विश्वभर में पंचतंत्र की कहानियों का अपना महत्व है। पंचतंत्र की कहानियाँ पहले ही कई भारतीय भाषा के साथ-साथ यूरोपीय भाषा में अनूदित हो चुकी है।

यूरोप में हिन्दी सीखने के लिए श्रीरामचरित मानस का प्रयोग किया जाता रहा है-

श्रीराम चरित मानस का पाठ आज भी उत्तर भारत में न सिर्फ़ घरों में बल्कि लोग समूह बना कर भी करते हैं। जिसे अखंड रामायण कीर्तन के नाम से भी जाना जाता है। इसे पाठ करने वाले लोग को रामायणी कहा जाता है।
श्रीराम चरित मानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास द्वारा संवत् 1631 में चैत्र शुक्ल रामनवमी (मंगलवार) को किया गया था।
श्रीराम चरित मानस की भाषा अवधी है। इस ग्रन्थ को कालजयी रचना
माना जाता है।

लोकमंगल की साधनावस्था का काव्य है रामचरित मानस

हिन्दी साहित्य के इतिहासकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने श्रीराम चरित मानस को लोकमंगल की साधनावस्था का काव्य माना है।
श्रीराम चरित मानस में सात काण्ड है-बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधाकांड, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड है।

रहीम ने  रामचरित मानस के संदर्भ में क्या लिखा था-

अब्दुर्रहीम ख़ानाख़ाना या रहीम ने श्रीराम चरित मानस के संदर्भ में लिखा था 

रामचरित मानस विमल, संतन जीवन प्रान।
हिन्दुवान को वेद सम् यवनहि प्रकट क़ुरान।

कुछ लोग वर्ष भर प्रतिदिन रामचरित मानस का पाठ करते हैं। साथ सुन्दर काण्ड का पाठ मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा के साथ करते हैं।
अब्दुर्रहीम ख़ानाख़ाना और तुलसीदास की मित्रता का ज़िक्र इतिहासकारों ने कई बार किया है।
इसलिए रामचरित मानस की पांडुलिपि को सुरक्षित रखने में अकबर के वित्तमंत्री टोडरमल की भी चर्चा होती है।
उस दौर में प्रिंट का कोई साधन नहीं था इसलिए साहित्यिक लोकतंत्र की जगह साहित्यिक राजतंत्र था।
किसी भी रचना को बचाना है या उसका क़त्ल करना है यह राजा के विवेक पर निर्भर करता था।

क्या तुलसीदास राज़दरबारी कवि थे ?

लेकिन तुलसीदास का व्यक्तिगत संबंध मुग़लदरबार से अच्छा था। किंतु इसका मतलब यह नहीं है कि तुलसीदास राज़दरबारी कवि थे। इसका उत्तर अब्दुर्रहीम ख़ानाख़ाना और तुलसी दास के संवाद में मिलता है।
हम चाकर रघुवीर के, पटौ लिखो दरबार।
तुलसी अब का होहिंगे, नर के मनसबदार।।अर्थात् तुलसी दास प्रभु श्री राम के नौकर हो चुके हैं वह किसी नर के मनसबदार कैसे बनेंगे।

 भारत के पूर्व राजनयिक पवन कुमार वर्मा की पुस्तक ‘द ग्रेटेस्ट ओड टु लॉर्ड राम: तुलसीदास रामचरित मानस’ में माना है कि तुलसीदास ने रामचरितमानस की पांडुलिपि की एक कॉपी अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल को दिया था ताकि यह सुरक्षित रहे।

यदि रामचरितमानस की पांडुलिपि की पांडुलिप नहीं होती तो भारतीय राजनीति कैसी होती?

आप सोचिए यदि इस पांडुलिप को सुरक्षित नहीं किया जाता तो आज की भारतीय राजनीति कैसी होती। क्या रामायण धारावाहिक के पटकथा का जानता के हृदय पर उतना प्रभाव पड़ता। इस धारावाहिक के राम इस बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। कुंवर नारायण की कविता तो आपने ज़रूर पढ़ा होगा जिसका शीर्षक अयोध्या, 1992 है। यदि जीवन में मोटिवेशन नहीं है तो सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की रचना राम की शक्ति पूजा पढ़िए जो बांग्ला भाषा के कृतिवास रामायण पर लिखा गया है। यदि राम कथा को और समझना है तो साकेत को पढ़िए। साथ ही रामकथा पर डॉ कामिल बल्के की रचनाओं को भी पढ़ा जा सकता है। रामचरित मानस की सरल भाषा ने भक्त और भगवान के बीच संवाद स्थापित करने का काम किया है। यहाँ पुजारी की आवश्यकता नहीं है। इसलिए उत्तर भारत में आम जन इसका पाठ करते हैं। यही रामचरित मानस की खूबी है। 

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