उषा प्रियंवदा  की साहित्यिक योगदान  

उषा प्रियंवदा  की साहित्यिक योगदान  

उषा प्रियंवदा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज और 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' में प्राध्यापिका के रूप में कार्य किया। उषा प्रियंवदा  ने फुलब्राइट स्कॉलरशिप पर अमेरिका गई और ब्लूमिंगटन, इंडियाना में पोस्ट-डॉक्टरल शोध करते हुए दो साल बिताए। उषा प्रियंवदा ने संप्रति विस्कांसिन विश्वविद्यालय, मैडीसन में दक्षिण एशियाई विभाग में प्रोफेसर के पद से अवकाश प्राप्त किया।

'पचपन खंभे लाल दीवारें' (1961 ई०)

'पचपन खंभे लाल दीवारें' (1961 ई०)

उषा प्रियंवदा ने द्वारा लिखे गए  उपन्यास हैं: 'पचपन खंभे लाल दीवारें' (1961 ई०), 'रुकोगी नहीं राधिका' (1967 ई०), 'शेषयात्रा' (1984 ई०), 'अन्तर्वशी' (2000 ई०), 'भय कबीर उदास' (2007 ई०), 'नदी' (2013 ई०)

'रुकोगी नहीं राधिका' (1967 ई०)

'रुकोगी नहीं राधिका' (1967 ई०)

शेषयात्रा' (1984 ई०)

शेषयात्रा' (1984 ई०)

नदी' (2013 ई०)

नदी' (2013 ई०)

भय कबीर उदास' (2007 ई०),

भय कबीर उदास' (2007 ई०),

अन्तर्वशी' (2000 ई०)

अन्तर्वशी' (2000 ई०)

पचपन खंभे लाल दीवारें' (1961 ई०) का अंग्रेज़ी अनुवाद 

पचपन खंभे लाल दीवारें' (1961 ई०) का अंग्रेज़ी अनुवाद