कांजीवरम सिल्क साड़ी महँगा क्यों होता है ?

 Kanjeevaram Silk Sari कैसे बनाया जाता है ? इस साडी को प्रायः शहतूत के रेशमी धागों से और हाथ से बुना जाता है. साथ ही इसमें शुद्ध सोने या चांदी की ज़री का प्रयोग किया जाता है. जिससे इस साड़ी की  गुणवत्ता बहुत बढ़ जाती है. 

'कांचीपुरम' में निर्मित कांजीवरम साड़ी को ‘रेशम की साड़ियों की रानी’ भी कहते हैं. 

कांजीवरम साड़ी में ऐसे कई रूपांकन मिलते हैं, जैसे- पौराणिक पक्षी ‘यली’ (हाथी-शेर का संलयन) और ‘गंडाबेरुंडा (दो सिर वाला राजसी पौराणिक पक्षी)  जिससे यह साडी और महत्वपूर्ण हो जाती है।

वर्ष 2005-06 में कांचीपुरम रेशम की साड़ी  को (GI टैग) मिला है।

 भारत  दुनिया में रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जो दुनिया के  के कुल रेशम का लगभग 18% उत्पादन करता है।

भारत  में रेशम उत्पादक क्षेत्र साउथ है. जैसे धर्मावरम, अरनी, कांचीपुरम, आदि को रेशम बुनाई के लिये भी जाना जाता है।

नरेंद्र मोदी  की सरकार ने वर्ष 2017 में देश में रेशम उत्पादन के विकास के लिये "सिल्क समग्र" (Silk Samagra) नामक योजना को शुरू किया।

“तमिलनाडु के 'कांचीपुरम' गाँव में निर्मित कांजीवरम साड़ी को पहनने की लालसा हर किसी के मन में होता है.