चच्चा जी बासमती चावल इतना महंगा क्यों होता है ? 

चच्चा जी बासमती चावल इतना महंगा क्यों होता है ? 

हम जब रुपया कमाएंगे चच्चा तो डेली बासमती चावल खाएंगे 

हम जब रुपया कमाएंगे चच्चा तो डेली बासमती चावल खाएंगे 

बासमती चावल के बारे में कुछ जानकारी-

बासमती चावल का  साइज सामान्य चावल की तुलना में बड़ा होता है. लोगों द्वारा हमेशा पुराना बासमती चावल  पसंद किया जाता है. बासमती चावल की लाजवाब खुशबू का दीवाना पूरा दुनिया है. बासमती चावल में न्यूट्रिशन भी लबालब भरा होता है. बासमती चावल की खेती करना बच्चों का खेल नहीं है.

दुनिया में सिर्फ बासमती चावल भारत और पाकिस्तान में उगाई जाती है. 

जहाँ एक तरफ पाकिस्तान द्वारा विश्व के विभिन्न  देशों में  वार्षिक स्तर पर लगभग 5,00,000-7,00,000 टन बासमती चावल का निर्यात किया जाता है वही यह भी देखा गया है कि 2,00,000 टन से 2,50,000 टन तो सिर्फ यूरोपीय संघ के देशों में  बासमती चावल का निर्यात किया जाता है।

न्यूट्रिशन के ममले में तो यह सामान्य चावल की तुलना में बहुत बेहतर है. क्योंकि इसमें कार्ब्स और कैलोरी की मात्रा काम होती है.  इसलिए भी यह चावल महँगा होता है. क्योंकि मांग अधिक है उत्पादन कम है. बच्चों द्वारा इसके बने सभी रेसिपी पसंद किये जाते है.

भारत में किसानों द्वारा बासमती चावल की खेती हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की जाती है।

बासमती चावल की खेती भारत में कहाँ कहाँ होता है?

समान्य चावल की तुलना में बासमती चावल के भीतर  2-एसिटाइल-1-पाइरोलाइन नामक रसायन की उपस्थिति होती है जिसके कारण इस चावल से एक अनूठी सुगंध आती है और स्वाद के ममले में तो इसे चावलों का किंग कहा जाता है.

बासमती चावल में खुशबू क्यों पाया जाता है?

बासमती चावल का उपयोग कैसे करें ?

iबासमती चावल को पकाने के बाद इसके दाने फूले हुए होते हैं और  एक दुसरे से चिपकते नहीं है। बासमती चावल को पकाने के दौरान ज्यादा देर तक न उबाले। खाना आपरूप होता है. लेकिन इसका उपयोग बिरयानी, पुलाव , भात, फ्राइड राइस में ज्यादातर किया जाता है. लेकिन महँगी होने के कारन लोग इसका कुछ भी बना लेते है.

बासमती चावल का एक्सपोर्ट अर्थात् निर्यात बहुत किया जाता है जिसके चलते इसका दाम बहुत अधिक रहता है। साथ इस चावल के नाम पर मिलावट का भी धंधा खूब चलता है। 

बासमती चावल में न्यूट्रिशन भी लबालब भरा होता है.

बासमती चावल में कार्ब्स और कैलोरी की मात्रा कम होती है। इस चावल को खाने बाद नार्मल चावल की तुलना में आपके भीतर एनर्जी लेवल  ठीक-ठाक रहता है. इसे खाने के बाद लोगों में  कोलेस्ट्रॉल की समस्या भी उतनी नहीं आती है. जिसके कारण इसका खपत और मांग दोनों बढ़ जाता है.

समान्य चावल की तुलना में बासमती चावल के भीतर  2-एसिटाइल-1-पाइरोलाइन नामक रसायन की उपस्थिति होती है जिसके कारण इस चावल से एक अनूठी सुगंध आती है और स्वाद के ममले में तो इसे चावलों का किंग कहा जाता है.इसलिए इसकी खेती भी थोड़ी मुश्किल होती है। लेकिन यह चावल दुनिया के लिए प्रकृति का एक खूबसूरत गिफ्ट है।