2024 में नए लोग भी समझ सकते हैं कि UCC क्या है?

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2024 में नए लोग भी समझ सकते हैं कि UCC क्या है? इसके लिए आवश्यक नहीं है कि आपको इस विषय में पीएचडी करना होगा। अभी तक आप समान नागरिक संहिता (UCC) को सिर्फ़ मीडिया के माध्यम से सुन रहे हैं।  और इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

इसलिए आपके लिए इसे समझान थोड़ा मुश्किल हो रहा था कि समान नागरिक संहिता (UCC) क्या है। लेकिन  2024 में आज यहाँ सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी किया जाएगा। 

2024 : समान नागरिक संहिता (UCC) क्या है? 

2024 में नए लोग भी समझ सकते हैं कि UCC क्या है?

स्वतंत्रता के बाद उत्तराखण्ड भारत का पहला राज्य बन गया जहां समान नागरिक संहिता (UCC) लागू किया जाएगा। इस राज्य के समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक को भारत के राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिल गई है।

उत्तराखण्ड से पहले गोवा में समान नागरिक संहिता (UCC) को मंज़ूरी मिली हुई थी। लेकिन यह थोड़ा अलग है। जैसे की गोवा राज्य में तो वर्ष 1867 में समान नागरिक संहिता क़ानून लाया गया लेकिन यह हिंदू के लिए अलग और कैथोलिक ईसाइ के लिए अलग तरह से लागू होता है।

जैसे गोवा में हिंदू धर्म को पालन करने वाले दो शादी कर सकते हैं।

समान नागरिक संहिता (UCC) में भौगोलिक  विविधता के साथ-साथ धार्मिक विविधता का महत्व;  

यह सत्य है कि भारत में सिर्फ़ भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता नहीं है बल्कि यहाँ उससे भी अधिक धार्मिक और जाति की भी विविधता है।

समाज के कुछ लोग चाहते है कि यह पहले जैसा ही बना रहे ताकि धर्म और जात की दुकान भी चलती रहे। जैसा कि आपको पता होगा कि हमारे देश में अलग अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानून हैं। एक तरफ़ हिंदू धर्म को मानने वालों के हिंदू विवाह अधिनियम वही इस्लाम को मानने वालों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ जैसी व्यवस्था है।

इस व्यवस्था से जितना अधिक फ़ायदा नहीं हुआ उससे अधिक नुक़सान। नुक़सान उठाने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक है। इसलिए इस रूढ़ि व्यवस्था का विकल्प समान नागरिक संहिता (UCC) हो सकता है जो देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून की माँग का प्रस्ताव करता है, चाहे व्यक्ति का धर्म कुछ भी हो।

समान नागरिक संहिता (UCC) को भारत में एक विवादास्पद मुद्दा की तरह प्रस्तुत किया गया:

यह सत्य है कि देश की आज़ादी के साथ भारतीय को विभाजन भेंट स्वरूप मिला। जिसका दर्द आज भी हमारें दिल में है। उस समय की सरकार का मक़सद था किसी तरह देश की एकता को बनाए रखना इसलिए वह ऐसे मुद्दे में प्रवेश नहीं करना चाहती थी जो देश की अखंडता को तोड़े।

लेकिन देश अब बहुत आगे बढ़ चुका है। ज़रूरी है हर चीज का नया वर्जन लाया जाये या उसे अपडेट किया जाये। समान नागरिक संहिता (UCC) भी एक अपडेट मात्र है। इस पर न कोई डरना चाहिए न किसी विरोध करना चाहिए।

समान नागरिक संहिता (UCC) के समर्थक का पलड़ा भारी है इसके कई तर्क हैं जो इस प्रकार है-

समानता और न्याय : देश की बढ़ती जनसंख्या घटती संसाधन ने सभी को प्रभावित किया है।किंतु  इसलिए इस समान नागरिक संहिता (UCC) के माध्यम से समानता और न्याय की तरफ़ बढ़ा जा सकता है।इसलिए नये लोग जिनका इस विषय मृण रुचि नहीं है उन्हें भी  समान नागरिक संहिता (UCC) को समझाना होगा।

इसलिए जब अभी केंद्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है और इस विषय पर सरकार अपने निर्णय पर पूरी तरह स्पष्ट है तो ऐसे में समान नागरिक संहिता (UCC) के समर्थक का पलड़ा भारी होना लाज़मी है। 

महिलाओं का अधिकार: समान नागरिक संहिता (UCC) से सबसे अधिक फ़ायदा महिलाओं को ही होगा। लेकिन महिलाओं द्वारा सबसे अधिक परंपराओं का पालन करवाया जाता है। इसलिए संभवना है कि इसका विरोध भी महिला ही करें।
धार्मिक समुदायों के बीच समानता: देश की जानता पहले धर्म के नाम पर, फिर भाषा के नाम पर, फिर जात के नाम पर एक दूसरे से अलग कर लेती है। लेकिन समान नागरिक संहिता (UCC) से संभवना है कि देश में थोड़ा समानता का ग्राफ़ ऊपर चढ़े।
समान नागरिक संहिता (UCC) के विरोधियों को लगता है कि इससे उनका धार्मिक स्वतंत्रता का हनन होगा। साथ ही देश में विभिन्न धार्मिक समुदायों की संस्कृति और परंपराओं को नुकसान तगड़ा होने वाला है।

समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने में आने वाली प्रमुख चुनौतियां:

समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने में कई चुनौतियां मौजूद है। सभी धर्म में मौजूद विविधता। यह इतना अधिक है तीन कोस पर ही दिखने लगता है। ऐसे में इसे एकरूप देना चुनौतीपूर्ण है।
भारत राज्यों का संघ है इसमें जो बात कश्मीर में ग़लत है वही बात अरुणाचल प्रदेश में सही है। लेकिन समान नागरिक संहिता (UCC) इस दो राज्यों में समानता लाने का प्रयास करेगा।

समान नागरिक संहिता (UCC) पर विशेषज्ञ की राय:

समान नागरिक संहिता (UCC) को जादुई गोली नहीं है जिसे लागू कर देने से गले दिन सब कुछ सही हो जाएगा। लेकिन सीमें सुधार की संभावना ज़रूर बनती है।
विशेषज्ञ को लगता है कि देश में लैंगिक भेदभाव को ही यदि दूर करना है तो मौजूदा कानूनों में बदलाव किया जाये और पहले से जो क़ानून है उसे क्रियान्वित किया जाये ताकि उसका रिजल्ट भी दिखे। जबकि भारतीय जानता पार्टी (बीजेपी) की पूर्ण बहुमत वाली सरकार इसका विकल्प समान नागरिक संहिता (UCC) के रूप में तलाश रही है। 

समान नागरिक संहिता (UCC) पर खूब चर्चा हो फिर क़ानून बने। यह सही है कि सभी लोगों को चर्चा में भाग लें चाहिए। जिससे कि एक स्वस्थ लोकतंत्र की व्यवस्था बनी रहे। लेकिन यह भी सत्य है कि इस तरह की चर्चा में भी वो लोग शामिल होते है जो इसका विरोध करते आये है। जबकि इसमें उन लोगों को भी शामिल होआ चाहिए जिनको इससे अधिक फ़ायदा मिलने वाला है।

समान नागरिक संहिता (UCC) का राजनीतिक पहलू:

भारतीय जानता पार्टी (बीजेपी) समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।क्योंकि पार्टी का यह विषय चुनावी वादा भी रहा है।

इसी का परिणाम है कि उत्तराखंड राज्य ने इस समान नागरिक संहिता (UCC) संबंधित विधेयक पर चर्चा करके इसे राष्ट्रपति के भेजा जहां से इस विधेयक को मंज़ूरी मिल गई और अब उत्तराखंड इसे लागू करेगा।
उत्तराखंड के बाद अब दूसरे राज्यों में भी समान नागरिक संहिता (UCC) पर चर्चा हो रही है और इसे क़ानून बनाने का पर्यास किया जाएगा। लेकिन यह कानून उत्तराखंड के जनजातीय समुदायों को छोड़कर, राज्य के शेष सभी निवासियों पर लागू होगा।

लिव-इन रिलेशनशिप को विनियमन किया जाएगा: अभी कोई पार्टनर जहां अपनी मर्ज़ी से साथ रहते है इसकी कोई भी सूचना परिवार वालों को नहीं होती है। लड़का-लड़की दोनों को लगता है है जब तक मर्ज़ी हैं रहूँगा जब मर्ज़ी है छोड़ दो।

अब इस नियम के तहत लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराने का प्रावधान किया गया है। ताकि दोनों की एक दूसरे के प्रति प्रतिबद्धता बनी रहे। कोई भी पीड़ित न बने।
इसके साथ ही समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत यह कानून जीवित पति या पत्नी होने के बावजूद दूसरा विवाह (Bigamy) करने को निषेध करता है। इसके कई उदाहरण देखे जाते हैं। मुख्य रूप से इस घटना का शिकार महिला ही होती है। लेकिन धीरे-धीरे यह प्रथा पुरुषों को भी प्रभावित कर रहा है।

समान नागरिक संहिता (UCC) में विरासत में मिले धन पर से प्राप्त यह सभी वर्गों के पुत्त्र और पुत्त्रियों के लिए समान अधिकार का प्रावधान करता है।

समान नागरिक संहिता (UCC) शुरू से ही एक चुनावी मुद्दा रहा है। ताकि पक्ष और विपक्ष का वोट शेयरिंग हो।
समान नागरिक संहिता (UCC) का अधिक विश्लेषण तभी हो पाएगा जब इसे उसी रूप में लागू किया जाये जिस रूप इसकी कल्पना की गई है।

UCC लागू करने से पहले सभी पक्षों की बात सुनना और सावधानीपूर्वक विचार करना महत्वपूर्ण है।
समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर देश भर में कई विरोध प्रदर्शन और रैलियां हो चुकी हैं। इसलिए इस मुद्दे का फ़ायदा दुश्मन देश को न हो। सरकार को बहुत सावधानी से चलने की ज़रूरत है।
आगे जो भी समान नागरिक संहिता (UCC) पर अपडेट होगा उस पर आलेख लिखता रहूँगा। आलेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद।

आप इस विषय पर दूसरे वेबसाइट पर जाकर भी आलेख पढ़ सकते हैं

https://www.bbc.com/hindi/india-61629532

 

 

माधव

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