पश्चिम बंगाल में पहला वैशाख (पोइला वैशाख) को राज्य दिवस घोषित किया गया
क्या आप जानते हैं कि पश्चिम बंगाल की सरकार द्वारा पहला वैशाख (पोइला वैशाख) को राज्य दिवस घोषित किया है। इस दिवस को घोषित करने के दौरान विधानसभा में विपक्षी दल भारतीय जानता पार्टी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जिसके सदन 62 विधायक है और बंगाल की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। भाजपा का तर्क है कि राज्य स्थापना दिवस 20 जून को मनाया जाना चाहिए। क्योंकि यह दिन बंगाल राज्य के लिए बहुत ऐतिहासिक है। इसी तारीख़ को 1947 में बंगाल के विभाजन के लिए मतदान किया था। इसके बावजूद भी यह ऐतिहासिक निर्णय सदन में कुल 294 सदस्यों में से 167 सदस्यों के बहुमत से पारित हो गया। अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जायेगा। ममता बनर्जी सरकार की सरकार का तर्क है कि इस दिन बंगाल का विभाजन हुआ था। इसलिए इस दिन का राज्य दिवस के लिए कोई महत्व नहीं है। ममता बनर्जी की सरकार ने नियम 169 के तहत इस बिल को पेश किया। यह प्रस्ताव पोइला बैसाख को ‘बांग्ला दिवस’ के रूप में मनाने का प्रस्ताव करता है।
20 जून 1947 का क्या महत्व है?
20 जून 1947 यह वह दिन था जब बंगाल के विधान सभा को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना था। निर्णय यह था कि पूरे बंगाल को भारत में रखा जाये जिसमें पूर्वी और पश्चिमी बंगाल शामिल था। या फिर इसे पूर्वी और पश्चिमी बंगाल में विभाजित करे जिससे पूर्वी बंगाल मुसलमान प्रभावित क्षेत्र होगा और पश्चिम बंगाल हिंदू प्रभावित क्षेत्र होगा। अनतः यह प्रदेश विभाजित हो गया और पश्चिम बंगाल भारत को मिला और पूर्वी बंगाल पाकिस्तान को। वर्ष 1971 से पहले यह पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था।
पश्चिम बंगाल में रवींद्रनाथ टैगोर की चर्चित कृति ‘बांग्लार माटी बांग्लार जोल’ को राज्य गीत घोषित किया गया
इसके अतिरिक्त एक और विषय को जोड़ा गया है। वह है रवींद्रनाथ टैगोर की चर्चित कृति ‘बांग्लार माटी बांग्लार जोल’ जिसका हिन्दी अर्थ है बंगाल की मिट्टी बंगाल का पानी। जिसे राज्य गीत घोषित किया गया है। रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी उत्कृष्ट रचना गीतांजलि के लिये नोबेल पुरुष्कार दिया गया था।
पोइला बैसाख 2024: तिथि, इतिहास और महत्व : कैसे मनाया जाता है पहला वैशाख (पोइला वैशाख)?
पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा जैसे राज्य में पहला वैशाख (पोइला बोइशाख) मनाया जाता है। जैसे एंग्लो कैलेंडर के मुताबिक नया वर्ष हर वर्ष 1 जनवरी को मनाया जाता है। इसी तरह बंगाली भाषी समुदाय में इस दिन विशेष उत्साह और उमंग देखा जाता है। सभी एक दूसरे को शुभों नववर्षों बोलकर कर संबोधित करते हैं। इस दिन कोई भी बंगला भाषी हैपी न्यू ईयर वाक्य का प्रयोग नहीं करता हुआ दिखेगा। जबकि कलकत्ता में पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव बहुत अधिक है। पिछले वर्ष 2023 को यह 15 अप्रैल को मनाया गया था।
पहला वैशाख (पोइला वैशाख) को क्या- क्या खाना पकाया जाता है?
इस दिन विशेष कर लोग घर में कई प्रकार का डिश बनाते है-
इस चैनल का लिंक इसलिए शेयर किया गया क्योंकि यह साइलेंट व्लॉग है। कोई भी व्यक्ति बहुत बेहतरा ढंग से यह बंगाल का खाना बनाना सिख सकता है।
- Aampora Shorbot
- Amer Chatni
- Begun Vaja
- Bengali Pulao
- Chana Motor
- Channar Rossa
- Chicken Kosha
- Chicken Tehri
- Chingri Malaikari
- Cholar Dal
- Chom Chom
- Dakbunglow Mutton
- Dhokar Dalna
- Echor Dalna
- Ilish Bhapa
- Ilish Patapora
- Jhuri Aloovaja
- Kosha Mangsh
- Luchi
- longo Lotika
- Mishti Doi
- Murgir Jhol Alu Diye
- Papor
- Postor Bora
- Purbhora Aloordum
- Rohu Kaliya
- Rosogolla
- Salad
- Sada Bhat
- Shutir Chop
- Sorshe Fish
- Sorshe Pomphret
- Tok Jhal Mishti Prawn
उपरोक्त डिश कई प्रकार का डिश है। कहा भी गया है कि आपरूप भोजन प्रारूप शृंगार। अर्थात् भोजन वही किया जाये जो आपको पसंद हो और शृंगार हमेशा परिवेश के आधार पर करना चाहिए। उपरोक्त आइटम को यदि आप बनाना चाहते है तो यूट्यूब पर कई फ़ूड चैनल है जहां जाकर आप कुकिंग सिख सकते हैं।
पहला वैशाख (पोइला वैशाख) का इतिहास क्या है ?
वैसे तो प्रत्येक त्योहार का अपना इतिहास है लेकिन पोइला बैसाख मनाने का भी कारण जानना चाहिए। बंगाल एक बड़ा राज्य था। इससे मुग़ल को अच्छी ख़ासी भूमि कर वसूलनी होती थी। लेकिन यहाँ एक समस्या थी। यह कर बंगाल से इस्लामी हिजरी कैलेंडर के अनुसार लिया जाता था। हिजरी कैलेंडर एक चंद्र कैलेंडर होता है और इसका सौर कृषि चक्रों के साथ मेल नहीं होता था। इसलिए इसमें परिवर्तन किया गया। यह परंपरा मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था। यह प्रचलित चंद्र इस्लामी कैलेंडर और सौर हिंदू कैलेंडर को मिलाकर एक नया कैलेंडर बनाया गया। इसलिए इस नूतन बांग्ला वर्ष को बंगबडा भी कहा जाता था। अकबर द्वारा शाही खगोलशास्त्री फतुल्लाह शिराज़ी को प्रचलित चंद्र इस्लामी कैलेंडर और सौर हिंदू कैलेंडर को मिलाकर एक नया कैलेंडर बनाने के लिए निर्देश दिया गया। परिणाम में एक कैलेंडर बना कर लाया गया। जिसे फ़शोली शान (फसल कैलेंडर) के नाम से जाना गया।
इस बार Pohela Boishakh 14th April 2024 को मनाया जायेगा जो कि रविवार (Sunday) है। इसलिए दूसरे राज्य में भी लोग मस्ती कर सकते हैं वहीं पश्चिम बंगाल में रविवार दिन होने के कारण लोगों को छुट्टी नहीं मिल पाएगी। इसलिए नव वर्ष के दिन ही रविवार पड़ने से लोगों में थोड़ी मायुषी भी होगी। लेकिन इससे इस त्योहार को मनाने में किसी भी प्रकार की कोई उत्साह की कमी नहीं होगी। कुल मिलाकर यह त्योहार बहुत हर्षौल्लाश के साथ मनाया जाएगा। यदि इस विषय पर कोई और खबर होगी तो उससे आप सभी को अपडेट का दिया जाएगा। जिससे आप सभी को किसी प्रकार की समस्या न आये।
निष्कर्ष
उपरोक्त बिंदु के आधार पर यह कहना उचित होगा कि (पोइला वैशाख) राज्य में अपना महत्व है। बंगला भाषी में यह त्योहार इतना ही स्वीकृत है कि इसे सरकार चाहे और न चाहे तो भी लोग मनाते है और मनाते रहेंगे लेकिन 20 जून का ऐतिहासिक महत्व है। बंगला देश कभी भारत का हिस्सा था लेकिन अब वह स्वतंत्र है। उसकी पहचान ही बांग्ला से है लेकिन पश्चिम बंगाल की पहचान भारत से है। इसलिए त्योहारों और महापुरुष की राजनीति नहीं होनी चाहिए। जिससे राज्य की जानता के बीच मनभेद हो जाये।
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