2024 में सोशल मीडिया के ओवरयूज़ लत से मुक्ति का मार्ग अपनाएँ

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सोशल मीडिया ने बढ़ा दिया है तनाव और बेचैनी

सोशल मीडिया के ओवरयूज़ ने हमें सामाजिक प्राणी नहीं रहने दिया। bhaasha times
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इक्कीसवीं सदी की दुनिया में सोशल मीडिया हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है। इसकी गहराई हमारे मानो मस्तिष्क पर इतनी अधिक हो गई है कि इसके बिना लोगों में बेचैनी शुरू हो जाती है। यदि आप स्मार्ट फोन से दूर होते हैं तो आप को लगता है कि आप सभी से दूर हो गए हैं। इस तरह हम हमेशा दूसरे का खबर लेने के लिए तक झांक में लगे रहते हैं।
सोशल मीडिया पर कंटेंट बनाने वाले कुछ तो मालामाल हो गए कुछ तो बदनाम हो गए और जो लोग इसे देखते हैं वे अपने जीवन में बदहाल हो गये।

ब्लॉग का मुद्दा

सोशल मीडिया भाषा टाइम्स

इस ब्लॉग में हम उन बिंदु चर्चा करेंगे कि कैसे सोशल मीडिया के इस ऐप ने हमारी जिंदगी में भूचाल ला दिया है।

तुलनात्मक जीवन पद्धति:

सबसे पहले लोगों ने बिना विचार किए हुए वे काम करने लगे जोउस महिला को यह साबित करना था कि वह भी नृत्य जानती है। यह अच्छी बात है।उसे अलग तरीक़े से अपने नृत्य की प्रस्तुति करना था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि मन में जो बात छिपी हुई थी कि वह यह है कि उसे भी नृत्य आता है। इसलिए वह अपने आपको कमतर करके नहीं आंक सकती है।

तुलनात्मक जीवन पद्धति सोशल मीडिया ने लोगों की जिंदगी को इस तरह तबाह किया है कि लोग गाजर और मूली की तुलना करते-करते रसगुल्ला और पिज़्ज़ा की तुलना करने लगे। यहां आलू और प्याज में ही कोई तुलना नहीं है।
यह सत्य है कि दोनों दोनों मिट्टी के नीचे होते हैं। दोनों के ऊपर छिलका लगा होता है। दोनों खाद्य पदार्थ की वस्तु है। यहां तक तो सब सही है लेकिन दोनों की प्रकृति अलग है।दोनों के भीतर मिलने वाला विटामिन अलग है। दोनों का स्वाद अलग है। बिहारी आलू और गुजराती आलू में भी बहुत अंतर होता है।
इसी तरह सामान्य वेतन पर काम करने वाला व्यक्ति अपनी तुलना फिल्म स्टार से करने लगता है। उसे समस्या आ जाती है। वेतन पर काम करने वाला व्यक्ति अलग तरीक़े से सोचता है। एक रोज़गार कर रहा है जबकि दूसरा व्यापार कर रहा है। फ़िल्म स्टार के जीवन का अलग कुंठा होता है। इसलिए कई फ़िल्म स्टार सुसाइड तक कर लेते हैं। सितारों की दुनिया भी अंधेरों से भरा होता है। लेकिन वेतन वाले आदमी को सिर्फ़ उसकी चमक दिखती है। इसलिए वह अपनी कामयाबी से अधिक दूसरे की कामयाबी देखता है। वह दूसरे से तुलना करते करते स्वयं से ही मोहब्बत करना भूल गया।

Privacy Concerns: निजता का मुद्दा जिसे आप अंग्रेज़ी Privacy Concerns भी कह सकते हैं। सिनेमा की दुनिया में लोग Privacy Concerns अपनी बातों का रखते हैं। वह दूसरे की स्क्रिप्ट पर एक्टिंग करते हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर ऐसा नहीं है। लोग को जो मर्ज़ी होता है वो बोल देते हैं। कंटेंट पर कोई फ़िल्टर नहीं होता है। इसलिए लोगों घर का मुद्दा सोशल मीडिया पर छाये रहता है।
भारत आज़ाद तो बहुत पहले हो गया लेकिन यहाँ डेमोक्रेसी अब सोशल मीडिया पर देखने को मिलता है। पोर्न देखने से लेकर नाचने और नंगा होने तक का डेमोक्रेसी। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें। इसमें बच्चे और महिलाएँ सबसे अधिक ट्रैप हो रही है। आये दिन सोशल मीडिया पर सकैडल वीडियो सामने आता है।

वास्तविकता से दूर की दुनिया

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर आप नोटिस करते होंगे कि व्यक्ति सिर्फ़ सफल होता है। यहाँ सभी के जीवन में सिर्फ़ फ़ुल ही फ़ुल है। किसी के जीवन में काँटे नहीं है। जबकि यथार्थ में जीवन इससे पूरा अलग है।यौवन और समृद्धि के गायन के दिन की प्रस्तुति तो यहीं देखने को मिलता है। सभी लोग इस प्लेटफार्म पर किसी ग्लैमरस से कम नहीं है।
सोशल मीडिया की दुनिया में आप समय की बर्बादी नहीं बल्कि इसका सत्यानाश कर रहें है। एक बार जब आप शॉर्ट्स में एंट्री ले लेते हैं तो उसके आप का यहाँ घंटों समय चला जाता है। आप बार बार इसके फीड में खोये रहते हैं।आप घंटों बैठ कर स्क्रॉल करते रहते हैं। इससे आप का महत्वपूर्ण समय बर्बाद होता है। आप वास्तविक दुनिया से दूर होकर एक आभासी दुनिया में जीते हैं। फिर जब यह समय बर्बाद हो जाता है तब आपके भीतर अपराधबोध और पछतावा होने लगता है। जो आपको परेशान करता है।

सोशल मीडिया से बचने के लिए और जीवन में खुश रहने के लिए क्या किया जा सकता है-

आप जब भी सोशल मीडिया का उपयोग करें तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना है। जैसे कि जिस काम से आप इस दुनिया में प्रवेश कर रहें उसे करके तुरंत बाहर निकल जायें। अर्थात् तय समय के भीतर काम करना और बाहर निकलना। दूसरे के साथ तुलना करा बंद कर दे जिससे आप को स्वयं से इश्क़ हो जाएगा। हमेशा कमेंट पढ़ना या बार बार चेक करना कि कौन मेसेज भेजा उसे बंद कर देना चाहिए।सोशल मीडिया का प्रयोग मोबाइल पर नहीं बल्कि कंप्यूटर पर करें। छोटे स्क्रीन पर नहीं परिवार के साथ समय बिताएँ। गाँव और क़स्बों में आज भी देखा जाता है लोग घंटों बैठकर ताश खेलते हैं और बकैती करते हैं। उसके लिए न तो महँगी कपड़ों की ज़रूरत है और न ही सेल्फ़ी का। चाय और खैनी पर पूरा खेल निकल जाता है। अब वक्त आ गया है कि हम लौट जायें। जहां से से सफ़र शुरू हुआ था।सोशल मीडिया से मुक़्त होकर मोक्ष प्राप्ति करने का यही एक मार्ग है। जो आपको शांति और यथार्थ की दुनिया में ले जाएगा।

 उनके धंधे का नहीं था। जैसे घर में काम करने वाली किसी महिला ने एक वीडियो देखा। उसे वह वीडियो बहुत अच्छा लगा।तो उसे लाइक करके रुक जाना चाहिए। लेकिन वह वहीं नहीं रुकती है। बिना सोचे समझे नाइट ड्रेस में ही डांस करके नाचने लगती है। जिसके बाद वह वायरल हो जाती है। ध्यान रहें कोई भी एक वीडियो से वायरल तो सकता है लेकिन सफल नहीं हो सकता है।क्योंकियदि आप इसे जुड़ा मुद्दा समझना चाहते हैं। तो इस लिंक पर भी क्लिक कर सकते हैं। https://www.addictioncenter.com/drugs/social-media-addiction/

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